www.hamarivani.com

रविवार, 6 नवंबर 2011

apne apne daant

में एक परमार्थ हॉस्पिटल में सेवार्थ जाती हूँ.ये हॉस्पिटल मुरेना शहर  के एक प्रतिष्ठित डा.साहब द्वारा संचालित है.वे शहर के प्रतिष्ठित डेंटिस्ट हैं .अतः कई मरीज निशुल्क दांत दिखने भी आते हैं.वही पर मेरा परिचय कई नियमित आने वाले मरीजो से हुआ.उनमे से एक है हीरा लाल जी.
                    हीरा लाल जी वेसे तो गोरे चिट्टे पहलवान टाइप करीब सत्तर साल के बुजुर्ग है.लेकिन अपने दांत दर्द से बहुत परेशान  थे.मेने सहानुभूति वश उनसे पूछा अंकल क्या हुआ?वे बोले बेटा कल जब में उड़द की दाल खा रहा था तभी  मेरे दांत के नीचे कंकड़ आया.मैने अपने आगे के दांत पीसते हुए पत्नी को बुला कर कहा "क्यों दाल ठीक से नहीं बीनी".अब पत्नी तुनक कर बोली" दाल में नही आपके मुह में पत्थर होगा".बेटा सच  में यही बात थी आइना देखा तो जिन दांतों पर जवानी में लडकिया मरा करती थी,जिनके पीसने पे अच्छे अच्छे पहलवान के पाँव उखड जाते थे वो ही उखड़े उखड़े से थे.
            मैने कहा अरे अंकल दांत उखडवा कर दूसरे लगवा लो सरकारी पद है एक अपदस्थ तो दूसरा पदासीन.वे बोले हाँ ठीक है लेकिन बेटा मेरा सात साल का नाती जिसके दांत गिर रहे हैं मुझे अपने बराबर का समझ ता है कहता है-"बाबा आप भी खुड्डा में भी खुड्डा"(जिसके दांत टूट जाते है उन्हें खुड्डा कह कर चिढाया जाता है) वो मेरा शक्ति परिक्षण करता है कहता है बाबा मोमबत्ती फूक कर बुझाओ.बाबा फूफा जी बोलो.
               उनकी दन्त गाथा सुन कर  मुझे हँसी आ गयी में मुह मोड़ कर हँसी की वे ठंडी सांस ले कर बोले "अपने अपने दांत'

1 टिप्पणी:

  1. आपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।

    जवाब देंहटाएं