आत्म विशवास का मोटे तौर पे अर्थ है अपने ऊपर भरोसा होना.या हम अपने आप को कितना या किस तरह स्वीकार करते हैं हमारा अपने प्रति जो विशवास है,जो हमारा हमारे बारे में अनुभव है और जो हमारा अपने प्रति द्रष्टिकोण है वही आत्म विशवास है .आत्मविश्वासी होने का अर्थ ये कदापि नहीं है की उस व्यक्ति से किसी प्रकार की गलती नहीं होती.या वह पूर्ण है.कभी कभी दूसरो की आलोचनाये भी ऐसे व्यक्ति को मिल जाती है.लेकिन आत्म विश्वासी लोग आलोचनाओं से घबराते नहीं बल्कि उन गलतियो से सीख ले कर आगे बढ़ते है और सफल होते हैं.आयिए देखे की आत्मविश्वासी व्यक्ति में कौन कौन से गुण होते है
*वह कठिन परिस्थितियो से घबराता नहीं है बल्कि हिम्मत से सामना करता है
*वह आशावादी होता है.
*वह दुसरे के द्रष्टिकोण को भी समझता है
*वह हमेशा सीखने को तत्पर रहता है
*वह वार्तालाप और संवाद स्थापित करना जनता है तथा कब चुप होना चाहिए ये भी जानता है
*वह अपनी अंतरात्मा जिसे जमीर कहते है की सुनता है और उसका अनुसरण भी करता है
*वह अपनी योग्यता और क्षमताओं का सही आकलन करता है
*वह अपने दायित्वों को और जिम्मेदारिओ को समझता है और उसका निर्वाह करता है
*वह मर्यादित और अनुशासन प्रिय होता है
*वह संवेदनशील होता है तथा दुसरे की पीड़ा समझता है
जब तक हम अपनी उपयोगिता नहीं समझेगे तब तक हम में आत्म विशवास नहीं आ सकता.इसलिए जरूरी है की अपने अंतःकरण की आवाज को सुनते हुए अपने आप पे भरोसा रखे.
*वह कठिन परिस्थितियो से घबराता नहीं है बल्कि हिम्मत से सामना करता है
*वह आशावादी होता है.
*वह दुसरे के द्रष्टिकोण को भी समझता है
*वह हमेशा सीखने को तत्पर रहता है
*वह वार्तालाप और संवाद स्थापित करना जनता है तथा कब चुप होना चाहिए ये भी जानता है
*वह अपनी अंतरात्मा जिसे जमीर कहते है की सुनता है और उसका अनुसरण भी करता है
*वह अपनी योग्यता और क्षमताओं का सही आकलन करता है
*वह अपने दायित्वों को और जिम्मेदारिओ को समझता है और उसका निर्वाह करता है
*वह मर्यादित और अनुशासन प्रिय होता है
*वह संवेदनशील होता है तथा दुसरे की पीड़ा समझता है
जब तक हम अपनी उपयोगिता नहीं समझेगे तब तक हम में आत्म विशवास नहीं आ सकता.इसलिए जरूरी है की अपने अंतःकरण की आवाज को सुनते हुए अपने आप पे भरोसा रखे.